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त्रिकोण …..

शिरीष के फूल
शिरीष के फूल
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त्रिकोण ,
जिसकी तीन कोने हैं ,
तीनों की इकाई जानना चाहता हूँ ,
पर समझ नहीं प रहा ।
जो तीन रेखाओं से बंद है ,
तीन रेखाएँ जुड़ी हैं ,
और ……
कोण बनाने मे
तीनों रेखाओं ने एक दूसरे को काटा भी था ।
इस कोण से बाहर निकलती
रेखा को मिटा दिया गया ……
कमजोर थी ।
उसका अस्तित्व मिट गया ।
पर मिटाने के बाद
जो दाग रह गया है ,
सबूत वो भी था,,
पर ,,
शायद इसलिए मिटाने का प्रयत्न न किया
की
फिर कोई दूसरी ,,
नयी ,,
रेखा बाहर निकालने की न सोचे ।
अब देख रहा हूँ ,
छोटे-छोटे आयत बनते ….
पर ये
रेखा से नहीं बने ,
बिन्दु मिलकर रेखा के
समान लग रहे हैं ।
ये शातिर हैं ,,,
अलग होकर रहते ,
पर ,
नयी पृष्टभूमि के वक़्त एक हो जाते ।
घनत्व को मूक कराते ,
त्रिकोण को फिर से रेखांकित करते ,
मजबूती देते
कोण मे आ चुकी फांक को ,,
और फिर फस जाता घनत्व आयत मे ,,
आयत को त्रिकोण बंधे रखती ,,,
पर याद आता है ,
ये त्रिकोण
कभी समकोण भी था । ………………..राहुल पाण्डेय “शिरीष”

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