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भारत एक ऐसा देश है जहां सब कुछ अच्छे तरीके से प्रयोग किया जाता है. यहां के लोगों के पास किसी भी वस्तु के प्रयोग हेतू हजारों तरीके हैं जिससे उस वस्तु का हर एक कण अच्छे से प्रयोग में आ जाता है. जुगाड से काम चलाने की परंपरा शायद यहीं जन्मी और उसका भरण-पोषण आजतक किया जाता है. इस प्रकार के जुगाड कभी-कभी बहुत ज्यादा हास्यास्पद लगते हैं तो कभी-कभी वो आपको सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि आखिर इसे मैंने पहले क्यों नहीं प्रयोग में लाया. अगर उपमा देकर समझाया जाए तो यह बात आसानी से कही जा सकती है कि भारत में फल, फूल या फिर कोई भी वस्तु का प्रयोग और सभी देशों से ज्यादा बेहतर और हट कर किया जाता है और शायद किया जाता भी रहे.
आप एक उदाहरण ले केले के पौधे का सही मायने में उससे ज्यादा और बेहतर प्रयोग आपको देखने को कहीं नहीं मिलेगा उसके पत्ते से लेकर जड़ तक का प्रयोग किया जाता है जिसके बारे में भारत को छोड़ कर और कहीं सोचा भी नहीं जा सकता है. उसके फूल से लेकर, फल और पती का भी प्रयोग किया जाता है, यहां अगर इसी का दांत मांजने का ब्रश टूट जाता है तो उसके पिछले छोर से अंचार में मसाला भरने या पजामा में नाडा लगाने का काअम लिया जाता है. यह प्रयोगवाद की क ऐसी मिसाल है जिसके बारे में कोई भी देश आसानी से सोच नहीं सकता है, फिर भी निराशा जनक बात यह है कि भारत अपने तरक्की करने के क्रम को बढ़ा नहीं पा रहा है. यहां नारियल के खपडेल से जलेबी छानने का काम लिया जाता है. भारत की प्रगति दर भले ही अन्य देशों से बहुत कम हो पर जुगाड के मामले में भारत के सामने किसी की भी टिकने की हिम्मत नहीं है.
अभी सबसे चौंका देने वाला ताजा जुगाड सामने आया है जिसे सुन कर आप अपने जुगाडपन को और तरासने की कोशिश करेंगे और यह भी सोचेंगे कि इस आसान तरीका का इस्तमाल आज तक मैंने क्यों नहीं किया और बेकार का पैसा बर्बाद करता रहा हूं. भारत के छत्तिसगड़ में किसानों ने किटनाशक के जगह पर कोल्ड ड्रिंक का छिड़काव कर अपने कृषि को बचाए रखा है, यह एक अदभूत प्रयोग है जिसका होना सिर्फ भारत में संभव लगता है और हुआ भी यहीं है. अब आप ही बताइए यह प्रगति के भारत को प्रगतिशील बनाते है या नहीं फिर भी इनका मान नहीं है हमारे देश में क्यों ना हम इन्हें बढ़ावा दें. आखिर यह भी कर के देख लेते हैं कि भारत की सरकार अपने नियम लाद भारत को प्रगतिशील बनाती है या यहा का जुगाड इसे महान बनाता है.
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